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Kunal Kamra Controversy: शिवसेना नेता राहुल कनाल कौन हैं? कुणाल कामरा मामले में आया नाम, कभी आदित्य ठाकरे के करीबी, अब शिंदे के समर्थक

By Sagar

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Kunal Kamra Controversy:महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल कनाल चर्चा में हैं। कुणाल कामरा मामले में उनके नाम का उल्लेख होने के बाद से उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कनाल, जो कभी अदित्य ठाकरे के करीबी माने जाते थे, अब एकनाथ शिंदे के समर्थकों में शुमार हैं। उनका यह राजनीतिक सफर उनके व्यक्तित्व और महाराष्ट्र की जटिल राजनीति को समझने का एक दिलचस्प केस स्टडी है।


परिचय: कौन हैं राहुल कनाल?

राहुल कनाल महाराष्ट्र के युवा राजनीतिज्ञों में से एक हैं। वर्तमान में वे शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं। मुंबई की स्थानीय राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत है, और वे पार्टी के संगठनात्मक ढाँचे में अहम भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, कुणाल कामरा केस में उनके नाम के सामने आने के बाद उनकी छवि विवादों में घिर गई है।


राजनीतिक सफर: शिवसेना में उदय

राहुल कनाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना के युवा विंग से की। उनकी मेहनत और संगठन कौशल ने उन्हें जल्दी ही पार्टी के अंदर पहचान दिलाई। 2010 के दशक में उन्होंने मुंबई के उपनगरीय इलाकों में पार्टी की सदस्यता अभियान चलाया और युवाओं को जोड़ने में सफल रहे।

  • अदित्य ठाकरे के साथ निकटता: 2018 में जब अदित्य ठाकरे ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा, तो कनाल उनके टीम का हिस्सा बने। अदित्य के ‘युवा स्वाभिमान यात्रा’ और पर्यावरण अभियानों में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।
  • पदोन्नति: 2019 में उन्हें शिवसेना की युवा शाखा का महानगर संयोजक बनाया गया। इस दौरान उन्होंने पार्टी को सोशल मीडिया पर सक्रिय करने में अहम योगदान दिया।

अदित्य ठाकरे से मतभेद और शिंदे गुट में शामिल होना

2022 में शिवसेना में हुए विभाजन ने कनाल के करियर को नया मोड़ दिया। जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया, तो कनाल ने भी शिंदे का समर्थन करने का फैसला किया। इस कदम के पीछे कई कारण बताए जाते हैं:

  1. पार्टी अंदरूनी कलह: कनाल का मानना था कि अदित्य ठाकरे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
  2. सत्ता में भागीदारी: शिंदे गुट को भाजपा का समर्थन मिलने के बाद उन्हें मंत्री पद या प्रभावशाली पद की उम्मीद थी।
  3. विचारधारात्मक मतभेद: कनाल ने महसूस किया कि मराठी अस्मिता का मुद्दा पार्टी के एजेंडे से गायब हो रहा है।

इस फैसले के बाद उन्हें अदित्य समर्थकों ने ‘दलबदलू’ तक कहा, लेकिन शिंदे गुट में उनकी प्रासंगिकता बढ़ती गई।


कुणाल कामरा मामला: कनाल की भूमिका पर सवाल

हाल ही में कुणाल कामरा नामक एक व्यवसायी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में कनाल का नाम सामने आया है। मामले की मुख्य बातें:

  • आरोप: कामरा पर 50 करोड़ रुपये की जमीन घोटाले का आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि कनाल ने कामरा को राजनीतिक संरक्षण दिया।
  • कनाल का बचाव: कनाल ने इन आरोपों को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया और कहा कि वे कामरा के व्यवसायिक लेन-देन से अनजान हैं।
  • राजनीतिक प्रभाव: विपक्षी दलों ने इस मामले को शिंदे सरकार पर हमले के तौर पर इस्तेमाल किया है। एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाड ने कहा, “यह सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।”

हालांकि, अभी तक कनाल के खिलाफ कोई आधिकारिक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, लेकिन यह मामला उनकी छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।


विवादों का इतिहास: राजनीति और आलोचना

राहुल कनाल पहली बार विवादों में नहीं घिरे हैं:

  • 2017: उन पर मुंबई के एक होटल में हुए झगड़े में हथियार दिखाने का आरोप लगा, लेकिन सबूतों के अभाव में मामला रफा-दफा हो गया।
  • 2021: शिवसेना के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में उनके नाम का जिक्र हुआ, परंतु पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।
  • 2024: उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमआईएम के नेता को “अपराधी” बताया, जिसके बाद उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज हुआ।

इन घटनाओं ने उन्हें एक ‘विवादित नेता’ का टैग दिलाया, लेकिन उनके समर्थक उन्हें ‘जमीनी नेता’ मानते हैं।


वर्तमान भूमिका: शिंदे गुट में प्रभाव

शिवसेना के विभाजन के बाद कनाल को शिंदे गुट में संगठन का महत्वपूर्ण दायित्व मिला:

  • पद: वर्तमान में वे पार्टी के मुंबई उपनगरीय इकाई के प्रभारी हैं।
  • कार्यशैली: उन्हें ‘फील्ड वर्कर’ माना जाता है, जो स्थानीय मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं।
  • लक्ष्य: 2025 की नगर निगम चुनावों में पार्टी को बहुमत दिलाना उनकी प्राथमिकता है।

हालाँकि, कुणाल कामरा मामले ने उनकी इस छवि को धक्का पहुँचाया है।


भविष्य की चुनौतियाँ: राजनीतिक संकट और छवि प्रबंधन

  1. विवादों से बचाव: कनाल को इस मामले में कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी।
  2. पार्टी अंदरूनी प्रतिस्पर्धा: शिंदे गुट में कई नेता उनकी बढ़ती ताकत से असहज हैं।
  3. जनाधार बनाए रखना: विवादों के बावजूद स्थानीय स्तर पर उनकी स्वीकार्यता बनाए रखना जरूरी है।

निष्कर्ष: एक नेता का उतार-चढ़ाव भरा सफर

राहुल कनाल का राजनीतिक सफर महाराष्ट्र की गुटबाजी और सत्ता संघर्ष का प्रतीक है। अदित्य ठाकरे के विश्वासपात्र से लेकर शिंदे गुट के स्तंभ तक का उनका सफर उनकी रणनीतिक सूझ-बूझ को दर्शाता है। हालाँकि, कुणाल कामरा मामला उनके लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। आने वाले दिनों में उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे इस संकट का सामना कैसे करते हैं और शिवसेना (शिंदे) को मजबूती देने में कितना योगदान दे पाते हैं।




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