---Advertisement---

Eli Lilly launches weight-loss drug- एली लिली ने भारत में लॉन्च किया वेट-लॉस ड्रग माउंजेरो, नोवो नॉर्डिस्क को पछाड़कर जीता बड़ा बाजार

By Sagar

Published on:

Follow Us
---Advertisement---

Eli Lilly launches weight-loss drug भारत में मोटापे और डायबिटीज के बढ़ते मामलों के बीच वैश्विक फार्मा कंपनियों की नजर अब इस विशाल बाजार पर टिकी हुई है। इसी कड़ी में अमेरिकी दवा दिग्गज एली लिली एंड कंपनी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने प्रमुख वजन घटाने वाले इंजेक्शन माउंजेरो (Mounjaro) को भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया है। यह कदम न सिर्फ़ भारत में बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, बल्कि इसके जरिए कंपनी ने अपने प्रतिद्वंद्वी नोवो नॉर्डिस्क (जो पहले से ही भारत में अपने वेट-लॉस ड्रग ऑजेम्पिक और वेगोवी बेच रही है) को पीछे छोड़ते हुए बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।


माउंजेरो: क्यों है यह ड्रग खास?

माउंजेरो (वैज्ञानिक नाम: टिर्ज़ेपेटाइड) एक GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट है, जो मुख्य रूप से टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए विकसित किया गया था। हालाँकि, क्लीनिकल ट्रायल्स में पाया गया कि यह ड्रग मरीजों के वजन को औसतन 15-20% तक कम करने में सक्षम है। इसकी प्रभावकारिता ने इसे “वेट-लॉस ड्रग्स की नई पीढ़ी” का चमकता सितारा बना दिया।

मुख्य विशेषताएँ:

  • दोहरी कार्रवाई: यह ड्रग GLP-1 और GIP हार्मोन्स को एक्टिवेट करके भूख कम करता है और पेट भरा होने का अहसास देता है।
  • साप्ताहिक इंजेक्शन: मरीजों को हफ्ते में सिर्फ़ एक बार इंजेक्शन लगाना होता है।
  • FDA अनुमोदन: अमेरिका में 2022 में डायबिटीज के लिए और 2023 में वेट-लॉस के लिए मंजूरी मिल चुकी है।

भारत में लॉन्च: एली लिली की स्ट्रैटेजी

भारत दुनिया की “डायबिटीज कैपिटल” होने के साथ-साथ मोटापे से जूझ रही आबादी का भी घर है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 13.5 करोड़ से अधिक वयस्क मोटापे की श्रेणी में आते हैं, जबकि 8 करोड़ से ज्यादा लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं। एली लिली ने इन्हीं आँकड़ों को ध्यान में रखते हुए माउंजेरो को भारत में पेश करने का फैसला किया।

प्रतिस्पर्धा को पछाड़ने की रणनीति:

  • समयबद्ध प्रवेश: नोवो नॉर्डिस्क के ऑजेम्पिक (सेमाग्लूटाइड) और वेगोवी (लिराग्लूटाइड) भारत में पहले से मौजूद हैं, लेकिन एली लिली ने माउंजेरो के सुपीरियर क्लीनिकल रिजल्ट्स को हाइलाइट करते हुए तेजी से लॉन्च किया।
  • प्राइसिंग: भारतीय बाजार के हिसाब से माउंजेरो की कीमत ₹15,000 से ₹18,000 प्रति माह रखी गई है, जो नोवो नॉर्डिस्क के ऑजेम्पिक (₹12,000-₹14,000) से थोड़ी अधिक है। हालाँकि, कंपनी का दावा है कि बेहतर परिणामों के चलते मरीज लंबे समय में कम खर्च करेंगे।
  • डॉक्टरों और अस्पतालों के साथ टाई-अप: एली लिली ने भारत के प्रमुख मेट्रो शहरों में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और डायबिटीज विशेषज्ञों को टार्गेट करते हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं।

नोवो नॉर्डिस्क के लिए चुनौती

डेनिश कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में अपने वेट-लॉस ड्रग्स के लिए मजबूत पकड़ बनाई है। लेकिन माउंजेरो के आगमन से उसकी बाजार हिस्सेदारी को खतरा पैदा हो गया है।

तुलनात्मक विश्लेषण:

पैरामीटरमाउंजेरो (एली लिली)ऑजेम्पिक (नोवो नॉर्डिस्क)
वजन घटाने का औसत15-22%10-15%
इंजेक्शन की आवृत्तिसाप्ताहिकसाप्ताहिक
मुख्य घटकटिर्ज़ेपेटाइडसेमाग्लूटाइड
कीमत (मासिक)₹15,000-₹18,000₹12,000-₹14,000

विशेषज्ञों का मानना है कि नोवो नॉर्डिस्क को अब अपने प्राइसिंग मॉडल या नए प्रोडक्ट लॉन्च पर विचार करना होगा।


भारतीय बाजार: अवसर और चुनौतियाँ

अवसर:

  • मोटापे और डायबिटीज का दोहरा बोझ: भारत में 60% से अधिक डायबिटीज रोगी मोटापे से भी ग्रस्त हैं। माउंजेरो जैसे ड्रग्स दोनों समस्याओं को एक साथ टार्गेट कर सकते हैं।
  • उच्च आय वर्ग की बढ़ती संख्या: महंगे इलाज के बावजूद, भारत का मध्यम और उच्च वर्ग स्वास्थ्य पर खर्च करने को तैयार है।

चुनौतियाँ:

  • कीमत की बाधा: ₹15,000 प्रति माह का खर्च अधिकांश भारतीयों की पहुँच से बाहर है।
  • जागरूकता की कमी: ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में मोटापे को “स्टेटस सिंबल” माना जाता है, जिससे इलाज की माँग कम है।
  • नकली दवाओं का खतरा: महंगे ड्रग्स की नकल करने वाली दवाएँ भारतीय बाजार में आसानी से पहुँच जाती हैं।

मेडिकल कम्युनिटी की प्रतिक्रिया

एली लिली के इस कदम को भारतीय डॉक्टरों ने सकारात्मक लेकिन सतर्क नजरिए से देखा है।

डॉ. अमिताभ घोष (डायबिटीज विशेषज्ञ, दिल्ली):
“माउंजेरो एक क्रांतिकारी ड्रग है, लेकिन इसे सिर्फ़ वजन घटाने के लिए नहीं, बल्कि उन मरीजों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिन्हें डायबिटीज और मोटापा दोनों हैं। कीमत को लेकर चिंताएँ हैं, लेकिन अगर कंपनी इसे इंश्योरेंस प्लान्स से जोड़ दे, तो यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।”

डॉ. प्रीति शर्मा (एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, मुंबई):
“इंजेक्शन-आधारित उपचार भारतीय मरीजों के लिए नया है। लोग गोलियों या आयुर्वेदिक उपायों को ज्यादा तरजीह देते हैं। कंपनी को इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने होंगे।”


भविष्य की राह

एली लिली ने भारत को अपने लिए एक “हाई-ग्रोथ मार्केट” घोषित किया है। कंपनी की योजना अगले 2 सालों में देश भर में 50+ शहरों में अपनी पहुँच बनाने की है। साथ ही, वह “मेडिकल एजुकेशन वर्कशॉप्स” के जरिए डॉक्टरों को ट्रेन करने पर भी फोकस कर रही है।

नोवो नॉर्डिस्क की अगली चाल:
ऑजेम्पिक की कीमत कम करना या भारत में अपने नए ड्रग CagriSema (जो सेमाग्लूटाइड और कैगरलिनाटाइड का कॉम्बिनेशन है) को लॉन्च करना।


निष्कर्ष

माउंजेरो का भारत में प्रवेश न सिर्फ़ दो फार्मा दिग्गजों के बीच प्रतिस्पर्धा को तेज करेगा, बल्कि मोटापे के इलाज के प्रति लोगों का नजरिया भी बदल सकता है। हालाँकि, सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या एली लिली भारत के “कीमत-संवेदनशील” बाजार में अपनी महंगी दवा को टिका पाएगी? इसका जवाब समय और मरीजों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। फिलहाल, स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत में “पर्सनलाइज्ड हेल्थकेयर” की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

---Advertisement---

Leave a Comment